why we celebrate diwali – हमारे भारत के कुछ सबसे महत्वपूर्ण त्योहारो मे गिने जाने वाला त्यौहार है दिवाली । कार्तिक मास के अमावस्या के दिन पड़ने वाले इस त्योहार को पूरी दुनिया मे लोग बड़ी हर्षोल्लाष के साथ मनाते है। जानिए हमारे साथ इससे जुड़ी कुछ रोचक तथ्य ।

प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन परने वाले दीपावली को मनाए जाने के अनेक कारण है। इस दिन सिर्फ दीयो को जलाने और खुशियो को बांटने की प्रथा नही है अपितु दीपावली को मनाने के पीछे अनेक कारण है जिससे बहुत से व्यक्ति अनजान है। इस पोस्ट को पढ़िए और जानिए कि ना ही सिर्फ हिंदुओ को बल्कि अन्य धर्मों के लोगो को भी क्यो दीपावली मनानी चाहिए।
1 . दीपावली के दिन ही जन्मी थी माता लक्ष्मी जी
माता लक्ष्मी जी धन की देवी है, हिंदू धर्म और शास्त्रो के हिसाब से यह कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की अमावस्या के दिन समुद्र मंथन करते समय माँ लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थीं। इसीलिए दीपावली के दिन माता लक्ष्मी का जन्म दिन मनाया जाता हैं एवं उनकी पूजा भक्ति की जाती हैं।

2 . भगवान श्री कृष्ण जी ने नरकासुर का किया था वध
जब राक्षस राजा नरकासुर ने तीनो लोको पर हमला कर दिया था और वहा रहने वाले देवी-देवताओ पर अत्याचार कर रहा था तब भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का नाश किया था। उसका वध करके भगवान श्री कृष्ण ने 16,000 महिलाओ को उसके कैद से बचाया किया था। इस विजय की खुशी को दो दिन तक मनाया गया था जिसमे दीपावली का दिन प्रमुख्य हैं। दिपावली पर्व का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता हैं।

3 . भगवान श्री राम जी की हुई थी जीत
हिंदू धर्म के दूसरे महाकाव्य रामायण के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही भगवान श्री राम ने माता सीता एवं अपनें छूटे भ्राता श्री लक्ष्मण के साथ लंका पर जित हासिल करके अयोध्या वापस लौटे थे। भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के वापस आने की प्रसन्ता मे पूरा अयोध्या झूम उठा था और दीयो के रौशनी से उन तीनो का स्वागत किया गया था। इस दिन को भगवान श्री राम के विजय की खुशी के तौर पर भी मनाया जाता हैं।

4 . भगवान श्री विष्णु ने बचाया था माता लक्ष्मी जी को
भगवान श्री विष्णु का पाँचवाँ अवतार वामन अवतार हैं। हिंदू कथाओ मे यह बहुत ही प्रसिद्ध कथा हैं जिसमे भगवान श्री विष्णु के वामन अवतार ने माता लक्ष्मी जी को राजा बाली के गिरफ्त से छुड़ाया था। इसीलिए इस दिन दीपावली को माँ लक्ष्मी की पूजा अर्चना करके श्रद्धा भाव से मनाया जाता हैं।

5 . यह जैन धर्म के लोगो के लिए भी बहुत ही विशेष दिन हैं
दिवाली के दिन ही जैन धर्म के संस्थापक महावीर तीर्थंकर ने निर्वाण प्राप्त किया था। एक तपस्वीं बनने के लिए उन्होने अपने शाही जीवन एवं परिवार का त्याग किया था। व्रत और तप को अपनाकर उन्होने निर्वाण को पाया था। यह कहा जाता हैं कि 43 की उम्र मे उन्होने ज्ञान प्राप्त कर लिया था एवं जैन धर्म को विस्तार दिया था।

6 . पोप जॉन पॉल की दीपावली स्पीच
सन 1999 मे दीपावली के शुभ अवसर पर पोप जॉन पॉल ने भारत के एक चर्च में eucharist का प्रबंध किया था। जिस दिन उन्होने अपने माथे पर तिलक लगाकर अपने भाषण मे दीपो के पर्व दीपावली पर भाषण दिया था।

7 . पांडवों की हुई थी घर वापसी
हिंदू धर्म के एक महाकाव्य महाभारत के अनुसार कार्तिक अमावस्या के ही दिन पांडव 12 साल के वनवास के बाद घर लौटे थे। उनके आने की प्रसंयता मे प्रजागण ने उनका स्वागत दीयो को जला कर किया था।

8 . दीपावली के दिन ही विक्रमादित्य का राज तिलक हुआ था
बहु पराक्रमी राजा विक्रमादित्य का राजतिलक दिवाली के दिन पर हुआ था। राजा विक्रमादित्य उदारता, साहस एवं वीरता के लिए प्रसिद्धि है।

9 . यह दिन आर्य समाज के लिए भी है बेहद खास
भारतीय इतिहास मे इस दिन 19वीं सदी के विद्वान महर्षि दयानंद ने आज के ही दिन निर्वाण को प्राप्त किया था। महर्षि दयानंद को हम आर्य समाज के संस्थापक के नाम पर जानते हैं। उन्होने मनवता एवं भाईचारे को बढ़ावा दिया था।

10 . सिखो के लिए दिवाली है बेहद खास है यह दिन
सिखो के तीसरे गुरु अमर दास ने दीपावली के दिन को एक विशेष दिन का दर्जा दिया था जब सारे सिख उनके पास आकर उनका आशीर्वाद लेते थे । दीपावली के दिन ही 1577 मे पंजाब के अमृतसर जिले मे स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास हुआ था। दीपावली का दिन सिखों के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योकि 1619 में उनके छठ वे गुरु हरगोविद को मुगल राजा जहांगीर ने बावनवें राजाओ के साथ ग्वालियर किले से आजाद किया था।

11 . आर्थिक महत्व
दीपावली का त्योहार भारत मे एक प्रमुख खरीदारी की अवधि का प्रतीक हैं। उपभोक्ता खरीद एवं आर्थिक गतिविधियो के संदर्भ मे दीपावली, पश्चिम मे क्रिसमस के बराबर है। यह पर्व नए कपड़े, घर के सामान, उपहार, सोने एवं अन्य बड़ी ख़रीददारी का समय होता हैं। इस त्योहार पर खर्च एवं ख़रीद को शुभ माना गया है क्योकि माता लक्ष्मी जी को, धन, समृद्धि, एवं निवेश की देवी माना जाता हैं। दीपावली भारत मे सोने एवं गहने की ख़रीद का सबसे बड़ा सीज़न है। मिठाई, ‘कैंडी’ और आतिशबाजी की ख़रीद भी इस समय अपने चरम सीमा पर रहती हैं। प्रत्येक वर्ष दिवाली के दौरान पांच हज़ार करोड़ रुपए के पटाखो आदि की खपत होती है।

12 . दिपावली पूजा की सम्पूर्ण विधि
सर्व प्रथम चौकी पर लाल कपड़ा बिछाये लाल कपडे के मध्य मे श्री गणेश जी एवं लक्ष्मी माता की मूर्तियाँ रखे. लक्ष्मी जी को ध्यान से गणेश जी के दाहिने तरफ ही बिठायें एवं दोनो मूर्तियो का चेहरा पूरब और पश्चिम दिशा की तरफ रखे. अब दोनो मूर्तियो के आगे थोड़े रुपए इच्छा अनुसार सोने चांदी के आभुश्ण एवं चांदी के 5 सिक्के भी रख दे. ये चांदी के सिक्के ही कुबेर जी का रूप हैं. माता लक्ष्मी जी की मूर्ति के दाहिनी ओर अछत से अष्टदल बनाएं यानी कि आठ दिशाएँ उंगली से बनाए बीच से बाहर की एवं फिर जल से भरे कलश को उस पर रख दें . कलश के अंदर थोड़ा चंदन दुर्व पंचरत्न सुपारी आम के या केले के पत्ते डालकर मौली से बंधा हुआ नारियल उसमे रखे. पानी के बर्तन यानि जल पात्र मे साफ पानी भरकर उसमे मौली बांधे और थोड़ा सा गंगाजल उसमे मिलाएं. इसके बाद चौकी के सामने बाकी पूजा की सामग्री कि थालीया रखें . दो बडे दिये मे देसी घी डालकर एवं ग्यारह छोटे दिये मे सरसो का तेल भर तैयार करके रखे. घर के सभी लोगो के बैठ्ने के लिए चौकी के बगल आसन बना लें . ध्यान रखे ये सभी काम शुभ मुहुरत शुरू होने से पहले ही करने होगे. शुभ मुहुरत शुरू होने से पहले घर के सभी लोग नहा कर नए कपड़े पहन कर तैयार हो जाएं और आसन ग्रह्ण करे.

why we celebrate diwali What’s The Story Behind It | हम दीपावली क्यों मनाते हैं, जानें हिंदी में |
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